Wednesday, February 17, 2010

shalendraupadhyay: shalendraupadhyay

shalendraupadhyay: shalendraupadhyay

shalendraupadhyay

किताबों से
कैसे हो
सुबह से शाम तक
नदी के ऊपर
तपते सूरज की आभा का चित्रण.
कैसे बताएं
सड़क पार से गुज़र जाने के बाद
हमारे पदचिन्हों की पहचान.
कैसे लिखें
कागज़ों पर ढलवां रास्तों की कहानी
मूक शब्दों में.
कैसे चले जाएँ
यही सोचते हुए हम.......?
किताबों से होते हुए.
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