Tuesday, March 2, 2010

shalendraupadhyay

हवा चली गई
और मैं बहता गया
मेरे घर के पास की
हवा में
कि-शायद
मैं हो जाऊं आभामंडल .

हवा रुक गई
मैं सिमट गया
फिर रह गई एक बात मेरे साथ
मेरा मन आभामण्डल ही रहा/
प्राकृत संकुचित हो गया.

सहसा पुनः चल पडी हवा;
मैं पड़ा रहा कमरे में
खुद के पास.

हवा चली गई
और
जीता रहा मैं
अपने वर्तमान में
समय के सानिंध्य में.