Tuesday, February 23, 2010

shalendraupadhyay

पितामहों का कहना है
मेरे पितामह ;
बार-बार दे जाते हैं
मुझे व्याख्या
मेरी पूर्व और पश्चात्  की
पीढ़ी के हर सन्दर्भ की .

पितामहों का कहना है ;
जब भी जाता है
उठकर घर से
एक शव-
व्यर्थ हो जाता है तब
संबंधों का सार .

पितामहों की आदत है ;
नामकरण करने की
हर नए शिशु के लिए
कि भूल न जाएँ  कहीं-
हम,उन्हीं की पीढी के
अग्रपुरुष को.
सच, तभी तो
रचते रह जाते हैं हम
चित्रों को !
पितामहों के संदेशों की
अभिव्यक्ति के लिए
कि टूट न जाये
सृष्टि का क्रम.

एक आदत बना लेते हैं
पितामहों की तरह ही
हम भी !
एक पीढी को जन्म देने की.

ओ,पितामहों !
समर्पित करता हूँ मैं 
मेरी पीढी को, तुम्हारे लिए
शब्दों का यह संसार
और हमेशा जीवित रखने की परंपरा.
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