Friday, March 12, 2010

shalendraupadhyay

चिड़िया और चींटी के नाम  
जब भी कहा है मैंने
चिड़ियों से उड़ने को
चींटियों से चलने को
और मेरे साथ
मेरे घर तक आने को
तब-तब हंसी उड़ाई उन्होंने
मेरे आमंत्रण पर.
चिड़िया चहक-चहक कर कहती है_
चले जाओ हमारे पास से.

बहुत पूछा मैंने उनसे
रूठने का कारण
लेकिन हर बार मिली चुप्पी ही
उनके चेहरों पर.

मैंने भी तय किया
किसी जन्म में, मैं भी बनूंगा
चिड़िया या चींटी
ताकि बचा रहूँ
...................बाहरी बुलावों से
और घूम सकूं
            .......स्वछंद
हर आमंत्रण से निर्विकार.
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